गुरू महिमा लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
गुरू महिमा लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं

मंगलवार, 20 अगस्त 2013

गुरू महिमा

                        गुरू महिमा

1- सतकबीरके चरण रज,
 धर्मदास शिरनाय।
 बार बार विनवन लगे,
 सतगुरू होहु सहाय।ं।


 2- धर्मदासके वचन सुन
, हरषे श्री गुरदेव।
 सुनु धर्मनि अब कहत हौं,
 गुरू महिमाको भेव।।

 3- सतगुरू भक्तिन जानई,
 कहै कवीर बखान।
 यह जग भूले बापुरे, 
गहे न सतगुरू ज्ञान।।



 4- बिना गुरू उतरे नहीं,
 भवसागर के पार। 
कहै कबीर सब जीवसे,
 गहिलो गुरू अपार।।


 5- गुरू बिना जो तप करे,
 गुरू बिन देवे दान।
 गुरू बिनु माला फेरते, 
सबही निसफल जान।ं


 6- गर्भ जोगेसर गुरू बिना,
 लागे हरिकी सेव
।से कह कबीर वैकुंठसे,
 फेर दिया सुकदेव।।


7- जनक विदेही गुरू किया,
 लागा हरिकी सेव
 कह कवीर बैकुंठमें,
 उलट मिला सुकदेव।



। 8- ऐसे गुरू के मिलन से,
 आवा गमन नसाय।
 बिन गुरू ज्ञाने दुन्द हो
, काल फासमें जाय।।


 8- यह भव अगम अथाह है,
 काल जाल बह धार।
 पार होनको द्वार इक,
 गुरू गिरा कडिहार।।


 9- गुरू गुरूमें भेद है,
 गुरू गुरूमें भाव।
 गुरू सदा सो वन्दिये,
 सबद बतावे दाव।।


 10- गुरू मुख गुरू चितवत रहै,
 जैसे मनी भुवंग।
 कहैं कवीर विसरे नहीं,
 यह गुरू मुखको अंग।।

 11- करम भरम जंजालताजि,
 गुरू पद कीजे नेह।
 गुरू मुख शब्द प्रतीतिकरि,
 निज तन जाने खेह।। 

12- भ्रिंगी मति गहि कीट जस,
 भ्रिंगी ही होइ जाय।
 गुरू शब्द गहि शिष्य तस,
 गुरूही माहिं सहाय।।

 13- सतगुरू महिमा अंनत है,
 अनन्त करै उपकार।
 ई भवसिन्धु अगाधते,
 तुरत उतारे पार।।

 14- सरवस वारे चरनमें,
 शरण रहै लपटाय।
 सोजिव पावे मोहिको, 
रहे काल मुरझाय।।


15- वेद किताब शास्त्र अरू,
पोथी कहत पुरान।
गुरू बिन भौसागर महा,
छूटे नाहिं निदान।।


16- गुरूकी महिमा अनंत है,
 मोसो कही न जाय।
तन मन गुरूको सौंपिकै,
चरणों रहो समाय।।


17- गुरू आज्ञा जिनजिन लही,
सारो सकल विधि काज।
नरक रूप जग दूर धर,
श्री गुरू महराज।।
गुरूसेवा माहात्म्य।



18- गंगा यमुना बद्रीस समेते।
जगन्नाथादि धाम हैं जेते।।
सेवे फल प्राप्त होय न जेतो।
गुरूसेवामें पावै फल तेते।।
गुरू महातमको वार न पारा ।
वरने सिवसनकादिक अवतारा ।।
गुरू महिमा मोपै वरनि न जाई ।
महिमा अनंत मम मति लघुताई।।