अवगुन कहूँ
शराब का, आपा
अहमक साथ ।
मानुष
से पशुआ करे दाय,
गाँठ से
खात ॥
बाजीगर का
बांदरा, ऐसा
जीव मन के साथ ।
नाना
नाच दिखाय कर,
राखे अपने
साथ ॥
अटकी भाल
शरीर में तीर रहा है टूट ।
चुम्बक
बिना निकले नहीं कोटि पटन को
फ़ूट ॥
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